करवा चौथ: एक पावित्र पर्व
करवा चौथ एक पावित्र हिंदू पर्व है, जो मुख्यतः उत्तर और पश्चिम भारत में मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए एक दिन का उपवास करती हैं।
उपवास (व्रत)
करवा चौथ के दिन, महिलाएं सूर्योदय से चांदनी रात तक बिना पानी और भोजन के उपवास का पालन करती हैं। यह उपवास पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए समर्पित होता है।
सर्गी (सर्गी)
सुबह के समय, महिलाएं अपने घरों में सर्गी तैयार करती हैं, जिसमें फल, सूखे मेवे, दूध और अन्य ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। यह सर्गी विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है और दिन की शुरुआत में खाई जाती है।
श्रृंगार
महिलाएं दिन में नए कपड़े पहनकर, मेहंदी लगाती हैं और अलंछन करती हैं, जिससे उनकी शादीशुदा जिंदगी की खुशी और समृद्धि का प्रतीक मिलता है।
पूजा और कथा
शाम के समय, महिलाएं पूजा करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जिसमें भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की उपासना शामिल होती है। यह पूजा पति की भलाई और परिवार की सुख-शांति के लिए की जाती है।
चांदनी रात में उपवास का समापन
चांदनी रात में, महिलाएं चांद को एक छलनी (सिव) के माध्यम से देखती हैं और फिर अपने पति के चेहरे पर नजर डालती हैं। इसके बाद, वे चांद को पानी में डालकर अपने प्यासे को बुझाती हैं, और पति उन्हें पानी और मिठाई खिला कर उपवास का समापन करते हैं।
उपहार और गिफ्ट
करवा चौथ के दौरान, सास-ससुर और रिश्तेदार महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं, जैसे कि नए कपड़े, ज्वेलरी या अन्य मूल्यवान वस्तुएं, जिससे प्रेम और स्नेह का प्रतीक मिलता है।
यह पर्व न केवल पति-पत्नी के बीच के स्नेह को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं की भूमिका और सम्मान को भी उजागर करता है।
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